Monday 7 June 2010

क्या इसे ही न्याय कहेंगे ?

दीन-३ दिसम्बर १९८४ , स्थान भोपाल ,मरनेवालो की संख्या १३८०० ,बाधितो की संख्या ५०००० से ज्यादा
आज -७ जून २०१० , न्याय -?
न्याय के सामने जो प्रश्न चिन्ह लगाया वोह किसलिए ?क्या आप सभी को यह सही न्याय लगा ? इस तरह का न्याय देने की जगह सरकार ने भोपाल पिडीतो को कहना था की हमारी नज़र मी आप किसी कीड़े से ज्यादा नाही है तो ठीक लगता था शायद ये सरकार की सचाई बयां करती थी। इस तरह २६ साल बाद भोपाल त्रासदी से गुजरे हुआ लोगो और ज्यादा त्रासदी से गुजरना है । जो सजा हुई है उस सजा को मरने वालो की संख्या से भाग दे तो प्रति व्यक्ति सजा केवल ५८ सेकंड होंगी याने भारत में किसी को जानसे मारने की सजा यह है । जिस तरह यह आधा अधुरा जो न्याय हुआ है उस के लिए सभी राजनेतिक दल ज़िम्मेदार है। मै हमारी सरकार और हमारे प्रधानमंत्री जी को अमेरिका के तलवे चाटने की सलाह दूंगा ताकि इस तरह के और ज्यादा हादसे हमारे साथ हो । आम आदमी मरता है तो मरे सरकार या विरोधी या कोई भी नेता इन सभी को हमारे जीने या मारने से क्या वास्ता उन्हें तो सिर्फ सत्ता चाहिए । मैं बचपन से यह पढ़ रहा हु के हम एक लोकतान्त्रिक देश के रहवासी है लेकिन सच्चाई अलग ही है हूँ जनता नाही गुलाम है देश में लोकतंत्र नाही है । अल्लाह ही जानता की हमारे देश का क्या होंगा। और कभ तक ऐसे और हादसे होते रहेंगे और न्याय के नाम पैर पीडितो से मजाक होता रहेंगा। मै आप सभी से अनुरोध करूँगा की आप चाहे किसी भी पार्टी के समर्थक हो आप चाहे किसी को भी अपना नेता मानते हो उन सभी से सिर्फ एक प्रश्न पूछे की इस न्याय का मतलब क्या है। हमें चाहिए की हम सरकार पर इतना दबाव डाले की सरकार को सही न्याय करने पर मजबूर करे शायद सही न्याय मिलना ही भोपाल पीडितो के ज़ख्म पर मरहम का काम करे

Wednesday 14 April 2010

क्या नक्सलवाद आतंकवाद नाही है ?

दोस्तों आपका एक बार फिर स्वागत है ,
पिछले कुछ दिनों में जिस तरह की नाक्सालवाद घटनाये हुई है क्या वो आतंकवादी गतिविधि नाही है? जिस तरह कुछ कायर नक्षल्वदिएओ ने हमारे जवानों को शहीद किया क्या ये आतंकवाद नाही है?। मैं हमारी तथाकथित हिन्दू पार्टियो और संघटनो से यह जानना चाहूँगा के ये जो सब कुछ हुआ है वो हिन्दू आतंकवाद नाही है क्या ? अरे आपने कही कुछ हुआ तो बस इस्लामिक आतंकवाद का नाम लगा कर अपना वोट बैंक को बढ़ने का काम किया तो जब यह सब कुछ हुआ तो इस घटना को आप किस नज़रिए से देखना पसंद करेंगे। मैं तो एक बात जानता हु के जान किसी की भी जाये चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लमान जान तो जान ही है उसी तरह आतंकवादी चाहे हिन्दू हो या मुसलमान या अन्य किसी धर्म का हो वोह सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी है उनका कोइम धर्म नाही होता है।
ऐसे लोग को किसी को जान से मारने मे शायद आनंद आता है। यह वो लोग है जिनको धर्म से कुछ लेना देना नाही है इस तरह के लोग हर धर्म मे है तो फिर बदनामी सिर्फ मुसलमानों के हिस्से में क्यों आते है ? कुछ हिन्दू संगठन,कुछ तथकथित संत,साध्वी जो आजकल जेल में है क्या वो हिन्दू नाही है।
दोस्तों मेरा आप सभी से सिर्फ इतना कहना है की जो जैसा दीखता है कभी कभी वोह वैसा नाही होता है। शायद कुछ लोग मेरी इस बात से सहमत नाही होंगे फिर भी जो है सो है।
धन्यवाद्

Thursday 5 November 2009

वंदे मातरम

दोस्तों आज कल हमारे कुछ नेताओ को शायद काम नही है इस लिए वोःवंदे मातरम और इस्लाम इस बात को लेकर फिक्रमंद नज़र आ रहे है । मैं आप सभी लोगो से यह पूछना चाहता हूँ के क्या आप सभी लोगो को यह लगता है के वंदे मातरम् कहना इस बात का सबूत है के कहने वाला शख्स सच्चा देशभक्त है।
क्या हम नही जानते की हमारे नेताओं ने अपने भाषण मे ना जाने कितने ही बार इस शब्द का प्रयोग किया होंगा क्या वेःसभी इस देश और देशवासियो के प्रति इमानदार है ? क्या हमारे नीता इस देश का पैसा विदेशी बैंक्स मे नही रख रहे है । मेरा मानना है के जो लोग यह कह रहे है इस घटना को बीजेपी ज्यादा तूल दे रही है तो मेरा उनसे यह अनुरोध है के आप जैसे लोग नैतिकता की बात कैसे कर सकते है
जबकि पुरे भारत वर्ष में आप जैसी अनैतिक पार्टी शायद ही दूसरी होंगी ।
दोस्तों शायद आप लोगो को फ़िल्म गर्व का एक सीन याद हो जिसमे कहा गया था के किसी का हिंदू होना, राजपूत होना .............. यह इस बात का प्रमाण नही है के वोह देशभक्त है । देशभक्ति एक जज्बा है जो अन्तेरात्मा से पैदा होता है इस के किए किसी को किसी भी विसिस्ठ शब्द का प्रयोग करने के लिए कहना क्या यह अनुचित प्रकार नही है । क्या भारत के मुस्लमान ने समय समय पर अपने देशभक्त होने का प्रमाण नही दिया है ? जी हा दिया है तो फिर इस तरह की बहस का क्या मतलब जो एक भाई दूसरे भाई से अलग कर दे । और जहा तक मेरा व्यक्तिगत प्रश्न है तो मुज़ह वंदे मातरम कहने में कोई दिक्कत नही है अगर उस के लिए यह शर्त है के अगर मै कहता हु तो देशभक्त नही तो गद्दार ।
जरा इस बारे में सोचो के अगर कोई धर्मं गुरु कुछ कह रहा है तो वोः क्या कह रहा है ,क्यों कहरहा है उसके प्रमाण क्या है यह भी तो सोचो ।
जय हिंद

Monday 19 October 2009

ठाणे (मुंबई) अग्निशामको की मौत का जीम्मेदार कौन ?

ठाणे में तारंगन नामक बिल्डिंग मे ६ अग्निशामको की मौत का जीम्मेदार कौन ? ज़रा इस प्रश्न का उत्तर खोजने की कोशिश कीजिये. इस दुर्घटना का कारण चाहे जो हो लेकिन क्या इन सभी जवानों की मौत इस तरह होनी चाहिए थी ? ये वोही लोग है जो अपनी जान पैर खेल कर हम लोगो की जान और माल की हिफाज़त करते है । क्या हमारी सरकार उन्हें मिलने वाली सामुग्री का कभी ध्यान रखेंगी । आज हमारे जवानों के पास अपने बचाव के लिय अत्याधुनिक साधन उपलब्ध नही है हमारे जवान अलनी जान की परवाह किए बिना लोगो की जान बचाते है क्या उन्हें इतना भी हक़ नही है के उन्हें अत्य्धुनिक साधन मिले । मुन्सिपल को जनता जो टैक्स देती है उसमे अग्निशमन टैक्स भी होता है । मैं ये जानना चाहता हु के ऐसे और कितने और हादसे होने के बाद मुन्सिपल /सरकार इन लोगो पर ध्यान देंगी ।
जब अगली बार आप किसी रस्ते पर अग्निशमन के जवान को आग से लड्ते हुए देख तो उस के लिए दुआ ज़रूर करे ।
धन्यवाद्

Thursday 17 September 2009

दाढ़ी का मतलब क्या है?

क्या वाकई सुप्रीम कोर्ट लो यह लगता है के मुसलमानों के दाढ़ी बढाने का मतलब तालिबानी कारन है ?
समाचार के अनुसार देल्ली कॉन्वेंट स्कूल के स्टुडेंट को दो साल पहले इस लिए स्कूल से निकला गया के उसने दाढी रखी थी और स्कूल के नज़र मे दाढी रखना मतलब तालिबानीकरण है । जब वो स्टुडेंट इस के विरोध मे कोर्ट पंहुचा तो माननीय न्ययाधीश ने उसे यह कह कर उस की याचिका कर दी गई के वह दाढी नही रखे । अभी कुछ दिन पहले माननीय उच्चतम न्ययालय ने उस से माफ़ी मांगते हुए उसे न्य्याय दिया की वोह दाढी रख कर उसी स्कूल मे पढ़ सकता है ।
अभी अगर किसी मुस्लिम ने दाढ़ी रखी तो वोह क्या तालिबानी हो गया क्या ? इस देश मे न जाने कितने लोग होंगे जो दाढ़ी रख ते है , सबसे अहम् बात यह है की हमारे पंतप्रधान की भी दाढ़ी है तोह वोह भी ? यह सब बातो का मतलब क्या है और इस विचार के पीछे कौन -कौन लोग है इस बात का पत्ता लगाना चाहिय ।
किसी को भी सिर्फ़ उसकी जाती के आधार पर आप उसे देशभक्त या देश्द्रोदी करार दे सकते है । किसी का मात्र हिंदू होना देशभक्ति का प्रतिक नही है । इस बात का तात्पर्य सिर्फ़ इतना है के यह मुल्क जितना आप को प्यारा उतनाही मुझे या अन्य किसी भी मुसलमान को प्यारा है ।
कोई बात अगर बुरी लगे तो क्षमा करना
धन्यवाद्

Wednesday 9 September 2009

अस्सलाम अल्लिकुम/नमस्कार /सत्श्रीयाकल ... दोस्तों ,
आप सभी का इस ब्लॉग मे मै शैख़ माजेद स्वागत करता हूँ । आज हम जो भी न्यूज़ चैनल देखे वहा नकली नो़ट्स के बारेमे कम से कम एक ख़बर मिल ही जाएँगी , कभी हमने सोचा है के इस के लिए कौन जिम्मेदार है
हम ने क्या इसी वास्ते बांग्लादेश को उसे की आज़ादी के वास्ते मदद की थी ,की वोह हमारे ही देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुचाये । यह पाकिस्तान,बांग्लादेश ,नेपाल, चाइना यह ऐसे पड़ोसी है जिनके मुँह मे राम और बगल मे चूरा लिए बैठे है । इन सभी देशो के साथ जैसे को तैसे वाला सलूक किया जाना चाहिय । इस का मतलब यह है के इन देशो के के साथ किसी भी प्रकार की कोई भी हमदर्दी नही दिखाना चाहिय । मसलन पाक,चाइना ने हमारे ज़मीन पर कब्ज़ा किया है उस ज़मीन पर सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारा ही अधिकार है और यह अधिकार पाने मे हमारी सेना सक्षम है ,लेकिन इन राजनेताओ को कौन सम्जाये के कुत्तो की तरह तलवे छाटना बंद करो । देश पर सरकार किसी भी पार्टी की हो लेकिन हमारे प्रधानमंत्री कोई भी हो वोह सिर्फ़ उस कुते की तरह है जो सिर्फ़ भोकना जानता है लेकिन काटना जानता नही । अगर हमारे नेता कोई गंभीर कदम उठाते तो आज जो ज़मीन दुश्मन के कब्जे मे है वोह नही होती और यह सभी प्रकार के शास्त्र ,नकली नो़ट्स यहाँ नही आते । शब्बा खैर ।